भूतिया रेलवे स्टेशन | darawni bhoot ki kahani |  सबसे डरावनी कहानी 

Darawni Bhoot Ki Kahani

यह कहानी उस डरावनी चुड़ैल की है जो मैंने एक रेलवे स्टेशन पर देखा था | उस भयानक चुड़़ैल को में आज भी नही भुला. कहानी छोटी सी है लेकिन रूह कप कपाने वाली और सबसे डरावनी कहानी है | इसलिए इस कहानी को कृपया पुरा पढ़े.

यह डरावनी कहानी मेरी खुद की है | बात आज से 2 साल पहले की है. में महाराष्ट्र के लातूर जिल्हा में रहता हु कुछ कारण वश मुझे मुंबई जाना था अपने चाचा जी के पास | मुंबई (बांद्रा) में मेरे छोटे चाचा जी रहते है बड़े प्यारे इंसान है | तो बस कुछ पर्सनल काम के चक्कर में मुझे चाचा जी का मुंबई से बुलावा आगया. तो बस में अपने दो जोड़ी कपड़े और एक जीन्स (जो मेरे पास एक ही थी) लेकर स्कूल बैग में डाल तयार हो गया और बैग को पीठ पर लटका कर चल पड़ा मुंबई के सफर के लिए | पापा ने साफ बोल दिया था देख बेटा हमारे हालात खराब है भले ही हम गरीब है लेकिन तुम्हारे पापा अपने बच्चो को लिए आज भी अंबानी है और इतना बोल कर हात में 2000rs थमा दिया और बोले की बस से जाना.


मैने मम्मी पापा के पैर छुए और निकल पड़ा बस स्टैंड की तरफ चलते हुए हा मैने टैक्सी नही ली पैसे बचाने के लिए. रास्ते में मुझे खयाल आया की क्यों बस के सफर में पैसे बर्बाद करू एक काम करता हु ट्रेन से जाता हु ट्रेन के पिछली डब्बे में कोई Ticket Cheker नही आता तो टिकट लेने का भी कोई जिगजिग नही है | आराम से फ्री में पहुंच जाऊंगा मुंबई और ये फालतू सा आइडिया लिए निकल पड़ा रेलवे स्टेशन की तरफ. कुछ देर स्टेशन पर इंतजार करने के बाद रात के 8:30 बजे बैगलोर से मुंबई जाने वाली ट्रेन अपनी तेज रफ्तार के साथ हमारे सिटी के स्टेशन पर आकर रुक गई | वैसे हमारे गांव का रेलवे स्टेशन साधारण सा है भीड़ वेगैरा ज्यादा नही होती. 

अब जल्दी से मैने इधर उधर देखा और सीधा ट्रेन के आखरी वाले डिब्बे में चढ़ गया बैठने के लिए जगा नही थी कैसे तैसे कर के खड़ा रहा और सफर आगे चलता रहा | जल्दी ही दूसरा स्टेशन आगया काफी अच्छा स्टेशन लग रहा था भीड़ काफी थी कुछ लोग चढ़ रहे थे कुछ उतर रहे थे कुछ समय बाद ट्रेन चल पड़ी और ये क्या जैसे ही में दरवाजे की तरफ देखा टिकट चेकर साहब एक दम से डिब्बे में चढ़ गए और सब का टिकट एक एक कर के चेक करने लगे अब मेरी हालत खराब हो गई एक तो मेरे पास टिकट नही था और दूर का सफर था, अनजान जगह थी | जैसे जैसे T.C मेरी तरफ बढ़ रहा था उस रफ्तार से मेरी B.P भी बढ़ने लगी और जिसका दर था वही हुआ | साहब ने पकड़ लिया और भारी आवाज में पूछा टिकट दिखाओ... अब दिखाने के लिए मेरे पास टिकट तो थी नहीं मैने बहाने से टिकट गुम होने का बहाना बनाया और इतना सुनते ही भाई साहब भड़क गए और चिलाने लगे मैने उनसे कहा की sir मेरी मजबूरी है इसलिए टिकट नही ले पाया इतना बोलने से उनको कोई फरक नही पड़ा और गुस्से में बोलने लगे की बेटा अब तो तू जायेगा जेल | इतना सुन में पूरी तरह से घबरा गया और उनसे हात जोड़े की सर गलती हो गई आगे से ऐसा नहीं होगा माफ कर दीजिए.

फिर क्या वही हुआ जो मुझे उसकी शकल देख कर लग रहा था उसने कहा की ठीक ही जेल नही जाना तो चलो जुर्माना भरो निकालो जेब में कितना पैसा है मैने कहा सर मेरे पास कुछ नहीं है tc ने गुस्से से आंखे दिखाते मेरी जेब में हात डाला और पिताजी ने जो मुझे दो हजार दिए थे वो पूरे निकल लिए और प्यार भरे धमकी के मिजाज़ से बोलने लगे देखो जेल नही जाना तो चुप चाप बैठ जाओ कोई जेल नही भेजेगा और अगले स्टेशन पर उतर जाना में आगे नहीं बचाने वाला तुम्हे और इतना बोल कर मेरे साइड में भी खड़ा हो कर अपने पेपर नोट में कुछ लिखने लगा | में तो अब पूरी तरह से हताश हो गया था में और कर भी क्या सकता था वहा बैठे लोग मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे किसी भूत को देख रहे हो और में उनको ऐसे देख रहा था जैसे किसी थेथर में मूवी देखने आए लोग बैठे है और मेरे गरीबी का तमाशा देख मुस्कुरा रहे हो | लेकिन में इस बात से भी हैरान था की ट्रेन के पिछले डिब्बे में बैठे इन सब लोगो ने सच में टिकट ली है? दिखने में तो सब अच्छे घर के ही लग रहे थे ना भी ली तो पैसे दे कर चुप कराया होगा T C साहब को | लेकिन मेरा तो पैसा भी गया और इज्जत भी | अब उल्लू की तरह में अगला स्टेशन आने का इंतजार कर रहा था, कुछ समय बाद स्टेशन आगया T.C वही मेरे पास खड़ा था उनसे कहा चलो बेटा उतर जाओ और आगे से ऐसे बिना टिकट के सफर नही करना इतना बोल मुझे ट्रेन से बाहर उतार दिया.

अब मेरे पास बस में मेरा स्कूल बैग जिसमे दो शर्ट थे और एक फटी जीन्स थी और मेरी तनहाई थी मैने इधर उधर देखा स्टेशन काफी सुनसान था दूर दूर तक कोई नजर नहीं आराहा था स्टेशन शायद शहर के बाहर था | जैसे तैसे में स्टेशन के अंदर गया टिकट काउंटर पर सोचा वहा कोई हो देखा तो वहा एक भाई साहब थे मैने उसने कहा भाई मुंबई जाने वाली ट्रेन कब आयेगी | आदमी अजीब तरीके से मुझे घूरने लगा और बोला की कहा से हो. मैंने कहा काफी दूर से आया हु तो उनसे बोला की यहाँ क्यों उतर गए मरने के लिए | मुझे कुछ समझ नही आया मैंने उनको अपनी दुख भरी कहानी सुनाई शायद पिघल जाए ये सोच कर लेकिन भाई साहब के हावभाव में कोई बदल नही था एक जैसा एक्सप्रेशन था | उनसे कहा की देखो अभी कल सुबह एक ट्रेन आयेगी 8 बजे अभी कोई ट्रेन नही आने वाली वैसे भी यह इस स्टेशन पर कोई आता नही है पुराना स्टेशन है छोटा सा गांव है इस वजह से.

मैने उनसे पूछा की भाई साहब इस स्टेशन का नाम क्या है, तो उसने बोला की इस स्टेशन को लोग Barog के नाम से जानते है. अब मेरे मन में था की यहां रुकु या नही वैसे भी मेरे पास दूसरा कोई ऑप्शन नही था पैसे भी नहीं थे जेब में की किसी हॉटल में जा कर रुकने के लिए और दूर दूर तक बस खेत ही खेत दिख रहा था | मैने उस भाई साहब से पूछा की क्या समय हो रहा है | उन्होंने बताया रात के 10 बज रहे है और इतना बोल कर वहा काउंटर पर खड़ी फाइल इधर उधर रख काउंटर का दरवाजा बंद कर के बाहर आगया और जाने लगा | मैने उनसे पूछा की आप कहा जा रहे हो भाई तो उसने बताया कि मेरी ड्यूटी 10 बजे खतम हो जाती है और में अभी घर जा रहा हु | मैने उनसे कहा की भाई साहब में इस जगह पर पहली बार आया हु अनजान हु यहां अकेले में पूरी रात कैसे काट सकता हु | वो गुस्से से भरी शकल बनाते हुए बोला.... तो में क्या करू भाई तुम्हे किसने बोला था यहाँ उतरने के लिए और इतना बोल कर हात के इशारे से बोला की जाओ वहा उस चेयर पर जा कर सो जाओ कल 8 बजे ट्रेन आयेगी चले जाना | इतना बोल कर मन ही मन कुछ बड़बड़ाते हुए निकल गया.

चुड़ैल की कहानी | bhoot ki kahani

अब में और बस में एक अंजान स्टेशन पर अकेला था | चारो तरफ बस अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा था | बस वहा स्टेशन में लाइट थी लेकिन वो भी बंद चालू बंद चालू हो रही थी | काफी पुराना स्टेशन था बैठने के लिए 2 लोहे के 3 सीट वाले स्टूल थे जो हर स्टेशन में रहता ही है | अब क्या था रात तो काटनी थी बिना कुछ सोचे में उस लोहे के स्टूल पर जा कर लेट गया ओढ़ने के लिए कोई कंबल तो था नहीं ऊपर से स्टूल लोहे की थी | सिरहाने पर बैग रख में आंखे बंद कर के सोने की कोशिश करने लगा. आंखे बंद किए 10 सेकंड ही हुए थे और मुझे ऐसा महसूस होने लगा की कोई मेरे एक दम पास खड़ा है और मुझे घूर रहा है और मैने एक दम से आंखे खोल कर देखा सामने कोई नही था | मेरी धड़कने अब तेज हो गई थी मुझे लगा यह मेरा आभास है, मैने हिम्मत कर फिर से आंखे बंद कर के सोने की कोशिश की इस बार फिर से मुझे महसूस हुआ कि कोई साया मेरे बहुत पास खड़ा है और मेरे चेहरे के काफी करीब आकर मुझे घूर रहा है | एक दम से मैने आंखे खोली सामने कोई नही था मुझे लगा की डर की वजह से मुझे ऐसे डरावने आभास हो रहे है | मैने 15 मिनिट तक आंखे खुली रख कर वैसे ही लेता रहा कुछ समय बाद धीरे धीरे मेरी आंखे बंद होने लगी और मुझे नींद अगायी और में सो गया | लेकिन कुछ समय बाद मेरे कानो में एक डरावनी जोर की चीख सुनाई पड़ी दोस्तो आप महसूस नहीं कर सकते की वह चीख कितनी डरावनी थी उस चीख में दर्द और गुस्सा दोनो थे | अब इतनी जोर की चीख सुन में झट से उठ खड़ा हुआ और एक दम से खबराहट के मारे इधर उधर नजर फिराई लगातार वो चीख मुझे सुनाई दे रही थी | कभी पीछे से तो कभी बाई तरफ से वो डरावनी आवाज आराही थी | अब मुझे महसूस हो गया की ये कोई मेरा वहम नही है यहां जरूर कोई गड़बड़ है.

मैने तुरंत वहा स्टेशन की दीवार पर टंगी घड़ी को देखा रात के 2 बज रहे थे अब मुझे समझ नहीं आरहा था की अब क्या करे सोचने लगा की बस से चला जाता तो ये सब नही होता | अपनी समझदारी को सवालों के कटघरे में खड़ा कर खुद पर ही गुस्सा करने लगा. आंखो की नींद पूरी तरह से उड़ चुकी थी ऊपर से काफी जोर की भूख भी लगी हुई थी. इस डरावने सफर में कोई हमसफर नही था सिवाय उन तेज ठंडी हवाओं के | एक वही थी जो मुझे अपना समझ कर गले लगा रही थी | खैर अब काफी समय बीत चुका था और वो डरावनी आवाजे भी बंद हो गई थी लेकिन डर अभी भी था मुझे उस डरावनी चीख से ज्यादा डर तो उस स्टेशन को देख कर लग रहा था | ऐसा लग रहा था की काफी सालों से यह स्टेशन बंद है स्टेशन की हालत देख कर लग नही रहा था की वहा कोई ट्रेन रुकती भी होगी |  ये सब सवाल दिमाग में लिए में स्टेशन को देख रहा था तभी अचानक से मेरे कानो में चम चम करती आवाज सुनाई पड़ी पायलो की आवाज थी | आवाज कुछ इस तरह से महसूस हो रही थी कि लग रहा था कोई महिला घुगरू वाली पायल पहने हुए है और वो दौड़ लगा रही है |आवाज स्टेशन के पिछली साइड की दीवार से आरही थी. 

मैने कैसे तैसे हिम्मत कर के स्टूल से उठ उन पायल की आवाज की तरफ जाने लगा ये देखने की आखिर वहा कोन है | अगर कोई इंसान होगा तो मदत माग लूंगा, और धीरे धीरे में स्टेशन की दीवार के पीछे अपने पैर बढ़ाने लगा जितना में उस आवाज के करीब जा रहा था उतनी ही तेज मेरी धड़कने भी बढ़ रही थी | जैसे तैसे मैने दीवार के उस पार देखा वहा कोई नही था फिर मेरे दिमाग में सवाल घूमने लगे की यहां तो कोई नही है फिर ये आवाज आ कहा से रही थी, मुझे पक्का याद है वो पैरो के पायालो की ही आवाज थी जो दौड़ लगा रही थी एक तरफ से दूसरी तरफ | अब मेरे डर का ओवर एंड हो गया था मैने आव देखा न ताव भागते हुए अपना बैग उठाया और वहा से जाने लगा... लेकिन तभी अचानक से वही घुगरूवो की आवाज एक दम मेरे पीछे महसूस हुई | ऐसा लग रहा था जैसे वो आवाज मेरे करीब बढ़ रही है मैंने एक दम से पीछे मुड़ कर देखा दोस्तो अब यहां पर जो मैंने देखा वो इतना डरावना नजारा था की मुझे आज भी वो किस्सा बताते हुए डर लगता है, जैसे ही में पीछे मुड़ा मेरे सामने एक औरत थी, दिखने में 35 साल को लग रही थी उसके चेहरे पर अजीब से निशान थे मानो ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके चेहरे पर नाखूनों से पूरा चेहरा खुरच दिया हो | उसकी सफेद आंखे और उसकी डरावनी गुर्राहट वो जोर जोर से गुरहा रही थी डरावनी आवाज में | कोई साधारण इंसान ऐसी हरकत नही करता है. अब आपको लग रहा होगा की कोई पागल औरत होगी जो स्टेशन पर घूम रही है और आपको देख कर डर गई होगी. लेकिन ऐसा कुछ नही था मे जितना उसकी आवाज से डरा, ना ही उसके हाव भाव से, ना ही उसके डरावने सूरत से डर लगा लेकिन उसकी पोजिशन देख कर मेरे तोते उड़ गए थे दोस्तो मेरे सामने जो औरत थी वो ना ही खड़ी थी ना ही बैठी हुई थी, वो बड़े ही डरावने पोजिशन में थी | उसके दोनो पैर और दोनो हात जमीन पर थे और वो पीठ के बल हवा में लेती हुई थी | हात और पैरो के सहारे उसकी पीठ जमीन पर टच नही हो रही थी वो डरावने तरीके से उल्टा चल रही थी मानो जैसे कोई मकड़ी चल रही हो. अब इतना इतना डरावना नजारा देख कोई भी डर जायेगा लेकिन फिर भी मैने हिम्मत कर उससे डरते हुए पूछा की को कोन... हो तुम और यहां क्या कर रही हो |

मेरी इस बात को सुनते ही वो हंसने लगी उसकी हसी देख कर तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए इतनी डरावनी भूतिया हसी थी उसकी | दोस्तो अब मेरे डर का बांध टूटने वाला था मेरे पैर और हात कांपने लगे थे, क्यों की वो धीरे धीरे मकड़ी की तरह अपने दोनो हात और पैरो के बल पर मेरी तरफ बढ़ने लगी | में समझ गया की अब यहां रुकना खतरे से खाली नहीं है. मैने और टाइम बर्बाद न करते हुए इतनी रफ्तार से वहा से भाग खड़ा हुआ की अगर मिलका सिंह जी के साथ मेरी रेस होती तो में दूसरा तो जरूर आता | इतना तो डर गया था में जिंदगी से तो वैसे ही डरा हुआ था भूतो ने और डरा दिया. 

बस और क्या वाहा से में लगातार बिना रुके भागने लगा मुझे पता ही नही चला की में दौड़ते दौड़ते उस भूतिया रेलवे स्टेशन से 2 km दूर आगया हु और अब कुछ वहा पर घर और खेत भी नजर आरहे थे | मैने वहा पर एक घर के दरवाजे को खटखटाया एक अंकल जी ने दरवाजा खोला उन्होंने मेरी हालत देख कर मुझसे पूछा की क्या हुआ बेटा इतने डरे हुए क्यों हो सब ठीक है, कोई परेशानी है क्या और इतना बोल अंदर आने के लिए कहा | मैने उनको रेलवे स्टेशन पर घटित सारी बात बतायी की कैसे आपके गांव के Barog रेलवे स्टेशन पर मेरे साथ यह डरावना हादसा हुआ और सारी बात बतायी | मुझे बड़ा आश्चर्य लगा क्यों की अंकल जी मेरी ये सारी बाते सुन जोर जोर से हंसने लगे और बोला की बेटा अच्छा मजाक कर लेते हो. मैने आश्चर्य से उनसे पूछा की आपको यह सब झूठ लग रहा है | तो उन्होंने जो कहा उसको सुन कर तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन ही खिसक गई. उन्होंने कहा कि बेटा यह इस गांव में दूर दूर तक कोई रेलवे स्टेशन है ही नही, अब ये सब देख सुन कर मेरा दिमाग घूमने लगा मैने जो देखा था वो क्या था |  दोस्तो कसम से यार में ट्रेन से जहा उतरा था वो एक प्रॉपर रेलवे स्टेशन ही था और वो टिकट काउंटर के अंदर खड़ा आदमी वो भी तो था वहा पर, ये सब बाते झूट कैसे हो सकती है | उस आदमी ने बात भी की थी मुझसे और ये सारे सवाल मेरे दिमाग में दौड़ने लगे और में इन्ही सवालों को सोचते सोचते सो गया.


भूतिया रेलवे स्टेशन | Darawni Bhoot Ki Kahani Ending

और सुबह उठने के बाद अंकल जी और उनकी वाइफ ने मुझे पहले तो ब्रश करने को कहा और कड़क मीठी चाय बनाकर पिलाई गांव के लोग बड़े प्यारे होते है यार | और नाश्ता वगैरा कर के वहा से में निकल गया अंकल जी को जब मैने अपनी स्टोरी बताई की कैसे मेरे पैसे Ticket Checker ने ले लिए वो बड़े भावुक हो गए और उन्होंने मुझे 500 rs दिया. मैने पहले तो उनको मना किया लेकिन बाद में ले लिया मेरे पास भी शहर जाने के लिए पैसे नहीं थे मुझे कैसे भी कर के अभी अपने घर तो जाना था और में इस बार बस से अपने घर वापिस आगया और किसी को बताया नही की मेरे साथ क्या हुआ था | मैने अलग से बहाना बना कर बात को टाल दिया और तब से लेकर आज तक में कभी ट्रेन में सफर नही किया. बस एक छोटी सी मेरी इच्छा है उस स्टेशन पर फिर से जाने की क्यों की मुझे देखना है की वो स्टेशन हकीकत में है या नही और मुझे पूरा यकीन है की वहा पर वो डरावना स्टेशन है.

Last Words:

तो दोस्तो आपको यह कहानी कैसी लगी हमे कॉमेंट में जरूर बताना और इसमें कोनसा पार्ट आपको सब से ज्यादा डरावना लगा वो भी बताए | यह कहानी डरावनी थी या नही इसके बारे में भी अपनी राय दे, और ऐसी ही डरावनी कहानी भूतिया कहानी और भूत की कहानी पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे धन्यवाद.